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: कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) को केवल शोध और नवाचार की दिशा में सकारात्मक रूप से उपयोग करना चाहिए,सुश्री श्रद्धा सक्सेना!

THE LUCKNOW TIMES

Thu, Sep 18, 2025
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) को केवल शोध और नवाचार की दिशा में सकारात्मक रूप से उपयोग करना चाहिए,सुश्री श्रद्धा सक्सेना!

 

बरेली व्यूरो मुनीश गुप्ता

  उत्तर प्रदेश बरेली के नगर फरीदपुर में स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान,,डायट,,में आयोजित बरेली कॉलेज बरेली के पर्यावरण विज्ञान विभाग तथा एनवायरनमेंट,एग्रीकल्चर एंड एजुकेशन सोसाइटी(EAES),विशेष सहयोग से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(DIET), फरीदपुर में"इंपॉर्टेंस ऑफ इनोवेशन एंड रिसर्च इन एजुकेशन(IIRE-2025)विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।यह सम्मेलन स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT)उत्तर प्रदेश के सौजन्य से आयोजित किया गया जिसमें देशभर से वैज्ञानिकों,शोधकर्ताओं,शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत भाषण के साथ हुआ, जिसे कार्यक्रम आयोजक सचिव दिनेश कुमार सिंह ने प्रस्तुत किया।उन्होंने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया तथा सम्मेलन की पृष्ठभूमि (Genesis of the Conference)पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने शिक्षा को नवाचार और अनुसंधान की महत्ता बताते हुए कहा कि यही साधन शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण एवं भविष्य उन्मुख बनाते हैं।कार्यक्रम के चीफ गेस्ट उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री माननीय अशोक कटारिया ने शिक्षा में नवाचार व अनुसंधान की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला कहा कि शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं को अनुसंधान आधारित व नवाचारोन्मुख बनाया जाए।उन्होंने शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को नई पद्धतियों एवं रचनात्मक विचारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।वक्तव्य न केवल ज्ञानवर्धक रहा बल्कि उपस्थित जनों के लिए अत्यंत मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ0,दीप्ति वाष्णय प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(DIET)ने की जहाँ उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का संचार नहीं बल्कि नैतिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व का आधार भी है।आज आवश्यकता है कि शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर नवाचार व शोध की दिशा में बेहतर कदम बढ़ाएँ ताकि शिक्षा प्रणाली अधिक प्रगतिशील और उपयोगी बन सके वहीं उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए प्रतिभागियों को सार्थक शोध कार्य के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में पहुँचे विशेषज्ञों ने इंपॉर्टेंस ऑफ इनोवेशन एंड रिसर्च इन एजुकेशन पर अपने विचार व्यक्त किए।सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि प्रो0,डॉ0,सुषमा गोंडयाल,प्राध्यापक,हिन्दी विभाग, बरेली कॉलेज,बरेली उपस्थित रहीं जो वर्तमान में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की सदस्य भी हैं।उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा,सामाजिक न्याय और शिक्षा में नवाचार की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा प्रतिभागियों को उत्कृष्ट शोध एवं रचनात्मक कार्यों के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ0,विमल कुमार, विभाग शिक्षा,एमजेपी,रोहिलखंड विश्वविद्यालय,ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के लोगों के जीवन का मूल ही नवाचार (Innovation) है।उन्होंने स्पष्ट किया कि ज्ञान दो प्रकार का होता है एक वह जिसका हमें प्रत्येक्ष रूप से ज्ञान होता है और दूसरा वह जिसका हमें ज्ञान नहीं होता।उन्होंने कहा कि इसी अज्ञात ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हम अनुसंधान (Research)और नवाचार (Innovation) की ओर अग्रसर होते हैं।डॉ0,कुमार ने बताया कि यही प्रक्रिया समाज के सतत विकास और शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य को पूरा करती है।सम्मेलन के गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ0,योगेश शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसी प्राचीन विश्वविद्यालयों की पुस्तकालयें भारत की गौरवशाली ज्ञान-परंपरा का प्रतीक रही हैं ताम्रपत्र और भोजपत्र जैसे साधनों पर ज्ञान का संकलन और संरक्षण किया जाता था।डॉ0,शर्मा ने कहा कि भारत की यह परंपरा केवल संरक्षण तक सीमित नहीं रही बल्कि समय-समय पर नवाचार (Innovation)और अनुसंधान (Research) के माध्यम से मानवता को नई दिशा प्रदान करती रही है यह विचार प्रतिभागियों के लिए अत्यंत मार्गदर्शक सिद्ध हुए।प्रोफ़ेसर आरके, सिंह,केसीएमटी ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज के समय में शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य तभी पूरा होगा जब यह अनुसंधान और नवाचार से जुड़ा हो वहीं उन्होंने कहा कि शोध केवल तथ्यों का संकलन नहीं,बल्कि नए विचारों और समाधान की खोज है।नवाचार से ही शिक्षा में जीवंतता आती है जो समाज को नई दिशा प्रदान करती है।उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे शोध और नवाचार को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं।बरेली कॉलेज बरेली के विवेक कुमार त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि शोध और नवाचार ही शिक्षा की आत्मा हैं जो समाज को नई दिशा और विकास के अवसर प्रदान करते हैं वहीं उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित न रहकर उसे अनुसंधान एवं सृजनात्मक कार्यों में रूपांतरित करना चाहिए उनके अनुसार शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण तभी होता है जब वह नवाचार, अनुसंधान और सामाजिक उत्थान से जुड़कर नई संभावनाओं के द्वार खोलती है।गेस्ट ऑफ ऑनर सुश्री श्रद्धा सक्सेना प्रख्यात अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)को हमें केवल शोध और नवाचार की दिशा में सकारात्मक रूप से उपयोग करना चाहिए वहीं उन्होंने स्पष्ट किया कि एआई का अंधाधुंध और निरर्थक प्रयोग मानव की विचारशक्ति,विश्लेषण क्षमता और रचनात्मक सोच को प्रभावित कर सकता है।उन्होंने कहा कि हमें एआई को एक सहायक साधन मानते हुए, इसका प्रयोग समाजहित में ज्ञान के सृजन,अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए।कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन किया गया जहाँ संबंधित प्रमुख शोध-पत्र,आलेख एवं विचार शामिल किए गए।विमोचन अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने इसे शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में एक उपयोगी दस्तावेज़ बताया कहा कि यह शिक्षकों एवं शोधार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।कार्यक्रम में देशभर से कुल 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें से लगभग 150 प्रतिभागियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए कार्यक्रम का वातावरण अत्यंत विद्वत्तापूर्ण एवं विचारोत्तेजक रहा जिसमें विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से आए शोधार्थियों प्राध्यापकों एवं विशेषज्ञों ने सक्रिय सहभागिता की कार्यक्रम का संचालन अनामिक अग्रवाल,आफरी अंजलि डॉ0,नसरीन द्वारा अत्यंत प्रभावशाली एवं व्यवस्थित रूप में किया गया।सम्मेलन के दौरान विभिन्न शोध पत्रों की प्रस्तुति की गई जिसमें विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने अपने विचार शोध निष्कर्ष और केस स्टडीज़ साझा किए।सम्मेलन की एक विशेष उपलब्धि के रूप में बेस्ट ओरल प्रेजेंटेशन अवार्ड अंजलि,आफरी जुल्फिकार,रितेश गौतम,स्मृति रस्तोगी,सौरभ शुक्ला, आयुष कुमार सिंह को प्रदान किया गया,बेस्ट पोस्टर प्रेजेंटेशन अवार्ड प्रदान किया गया जिसमें मंजीत सिंह,मुकेश कुमार,नीरज कुमार, अभिषेक गौतम,नितिन सिंह,पोस्टर और ओरल प्रेजेंटेशन के निर्णायक मंडल सदस्य प्रो0,राजेंद्र सिंह,डॉ0 गौरव भूषण,भूपकुमारी,डॉ0,राम रतन आदि शामिल रहे।संरक्षक मंडल में मुख्य संरक्षक सुश्री कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूली शिक्षा,उत्तर प्रदेश रहीं।संरक्षकों के रूप में गणेश कुमार,निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT)उत्तर प्रदेश तथा प्रो0,ओपी, राय प्राचार्य,बरेली कॉलेज बरेली का मार्गदर्शन रहा कार्यक्रम के संयोजक प्रो0,राजेन्द्र सिंह एवं प्रो0,एपी,सिंह रहे।सह-संयोजक के रूप में आकांक्षा प्राध्यापक,सामाजिक कार्य विभाग, DIET, रहीं।आयोजन सचिव की भूमिका जसपाल सिंह की रही।कॉन्फ्रेंस हाइब्रिड मोड(ऑफलाइन और ऑनलाइन)में सम्पन्न हुई जिसमें विभिन्न राज्यों से शिक्षाविदों,शोधकर्ताओं, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षा में नवाचार और शोध के महत्व को समझाना,शैक्षणिक नवाचारों को सुदृढ़ करने की प्रक्रिया पर विचार- विमर्श करना तथा प्रतिभागियों में जागरूकता एवं विस्तार करना था।इस अवसर पर डॉ0,गौरव भूषण,डॉ0,कृष्ण कुमार,सौरभ मिश्रा,रवि गंगवार,डॉ0, योगेश शर्मा,डॉ0,राजेश कुमार,अर्चना, नीति माथुर आदि प्रमुख व्यक्तित्व भी उपस्थित रहे।कार्यक्रम के समापन में धन्यवाद ज्ञापन आकांक्षा,जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET),बरेली एवं डॉ0,जसपाल सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।उन्होंने सभी सम्मानित अतिथियों,वक्ताओं,प्रतिभागियों, आयोजन समिति के सदस्यों तथा सहयोगी विद्यार्थियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सफल आयोजन को टीम भावना और सामूहिक प्रयासों का परिणाम बताया।

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