: प्रदूषण पर देर से नींद खुली, एक फैक्ट्री सील, तीन को नोटिस
सैय्यद फैज़ान शीबू रहमान
Tue, Oct 21, 2025
मृत जानवरों को काटने का अवैध कारोबार उजागर, चांदपुर में फैली थी बदबू
सैय्यद फैज़ान शीबू रहमान
उन्नाव। जिले के औद्योगिक इलाकों में फैल रहे प्रदूषण को लेकर आखिरकार प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है। मृत जानवरों को अवैध रूप से काटने और गंध फैलाने की शिकायतों के बाद तीन फैक्टरियों को नोटिस जारी किया गया, जबकि एक फैक्ट्री को सील कर दिया गया। यह कार्रवाई दो अलग-अलग जांच टीमों की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा की गई। 15 अक्तूबर को हुई दिशा समिति की बैठक में दही चौकी और बंथर औद्योगिक क्षेत्र से उठ रही दुर्गंध पर जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाए थे। इस पर जिलाधिकारी ने उद्योग, पशुपालन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीमों को मौके पर जांच के निर्देश दिए थे। टीमों ने जब निरीक्षण किया तो चांदपुर क्षेत्र में अयान कुरैशी नाम के व्यक्ति द्वारा मृत जानवरों को काटने, हड्डियां और चमड़ा निकालने का अवैध काम चलते पाया गया। वहां फैली तेज दुर्गंध से स्थानीय लोग परेशान थे। रिपोर्ट में नियमों के खुले उल्लंघन और पर्यावरण प्रदूषण के प्रमाण दर्ज किए गए, जिसके बाद प्रशासन ने स्थल को तत्काल सील कर दिया। साथ ही, दही और बंथर क्षेत्र की तीन अन्य फैक्टरियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर आगे विधिक कार्रवाई की तैयारी चल रही है। हालांकि, कार्रवाई के बाद अब प्रशासन सक्रिय दिख रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदूषण विभाग ने देर से जागने की आदत बना ली है। शिकायतें कई बार की गईं, लेकिन अफसरों ने तब ध्यान नहीं दिया। अब जब पूरे इलाके में गंध फैल चुकी है, तब जाकर नोटिस और सीलिंग की कार्यवाही की गई। लोगों का कहना है कि अगर विभाग समय पर कदम उठाता, तो हवा और पानी में यह जहर फैलने से रोका जा सकता था। कार्रवाई के दौरान प्रदूषण फैलाने वाली तीनों इकाइयों के नाम प्रशासन ने सार्वजनिक नहीं किए। जब इस संबंध में जीएमडीआईसी करुणा राय से पूछा गया तो उन्होंने नाम याद न होने की बात कहकर प्रदूषण नियंत्रण विभाग से पूछने की सलाह दी। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी हमेशा की तरह फोन उठाने से बचते रहे। इस रवैये से साफ है कि फैक्ट्रियों पर कार्रवाई भले शुरू हो गई हो, लेकिन जिम्मेदारी तय करने में प्रशासनिक हिचक बरकरार है। अब देखना यह होगा कि सीलिंग और नोटिस की यह प्रक्रिया दिखावे से आगे बढ़कर वाकई में प्रदूषण पर रोक लगाने में कितनी कारगर साबित होती है।
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