: मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल न करने के कारणों को बताना जरूरी नहीं' Election Commission of India ने सुप्रीम कोर्ट को बताया!
THE LUCKNOW TIMES
Sun, Aug 10, 2025
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मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल न करने के कारणों को बताना जरूरी नहीं' Election Commission of India ने सुप्रीम कोर्ट को बताया!
नई दिल्ली : दरअसल चुनाव आयोग (ECI) ने SC में कहा है कि बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) के तहत ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की अलग से सूची तैयार करना या साझा करना, या फिर उनके नाम न शामिल करने के कारण बताना कानूनी ढांचे में जरूरी नहीं है, आयोग ने यह जवाब बिहार की मतदाता सूची से करीब 65 लाख नाम हटाए जाने पर याचिकाकर्ता ने पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया था, आयोग ने आगे कहा कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में किसी का नाम शामिल करने के लिए कोई जांच नहीं की जाती, जिन लोगों के गणना फॉर्म मिले हैं, उनका नाम बिना किसी शर्त या अपवाद के ड्राफ्ट सूची में शामिल किया गया है, आयोग ने बताया कि जिन लोगों का नाम 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची में किसी कारण से नहीं है, वे 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्ति की अवधि में फॉर्म 6 के साथ SIR आदेश के अनुबंध-D में दी गई घोषणा दाखिल करके अपने नाम को सूची में शामिल करने का दावा कर सकते हैं, आयोग ने कहा कि अगर किसी का नाम गणना फॉर्म न मिलने की वजह से ड्राफ्ट सूची में नहीं है, तो फॉर्म 6 के साथ घोषणा दाखिल करने का मतलब है कि वह व्यक्ति न तो मृत है, न ही स्थायी रूप से कहीं और चला गया है और न ही उसका पता नहीं चल रहा, इसलिए, नाम न शामिल होने के कारणों के साथ सूची देने का कोई व्यावहारिक फायदा नहीं है, क्योंकि सभी तीन मामलों में प्रक्रिया एक ही है-फॉर्म 6 और घोषणा दाखिल करना आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह दावा गलत और निराधार है कि बिना कारण बताए, जिनके नाम ड्राफ्ट सूची से बाहर हैं, वे मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 (RER) के तहत उचित कार्रवाई नहीं कर पाएंगे. आयोग ने दूसरा तर्क दिया कि RER 1960 के नियम 19 के तहत, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) को हर दावे और आपत्ति की सुनवाई के लिए नोटिस देना जरूरी है, जो नियम 17 और 18 के अनुसार निपटाए नहीं गए हों आयोग ने यह भी कहा कि ड्राफ्ट मतदाता सूची से नाम बाहर होना, मतदाता सूची से हटाना नहीं है. ड्राफ्ट सूची बस यह दिखाती है कि मौजूदा मतदाताओं के भरे हुए गणना फॉर्म गणना के दौरान प्राप्त हुए हैं, लेकिन, इस बड़े पैमाने की प्रक्रिया में मानवीय गलतियों की वजह से कुछ नाम छूट सकते हैं या गलत शामिल हो सकते है आयोग ने कहा कि अगर ERO को लगता है कि गलती या चूक की वजह से किसी मतदाता का नाम ड्राफ्ट सूची से छूट गया है, तो वह सुधारात्मक कार्रवाई कर सकता है. "इसीलिए, ड्राफ्ट सूची से नाम बाहर होने के कारण बताने की जरूरत कानूनी ढांचे में नहीं मानी गई है." ECI ने यह जवाब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक नई याचिका के जवाब में दिया. जिसमें बाहर किए गए लोगों की अलग सूची और उनके बाहर होने के कारणों का खुलासा करने की मांग की गई थी. ADR ने दावा किया कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख से ज्यादा नाम हटाए गए हैं, बिना पारदर्शिता के और यह बताए बिना कि ये हटाए गए नाम मृतकों, प्रवासियों या अन्य श्रेणियों से संबंधित हैं. एक अलग हलफनामे में, ECI ने कहा कि बिहार में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व नोटिस, सुनवाई का मौका और उचित आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा. आयोग ने जोर देकर कहा कि चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) के दौरान गलत हटाने से रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं. आयोग ने बताया कि 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची, बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) द्वारा घर-घर जाकर मौजूदा मतदाताओं से गणना फॉर्म इकट्ठा करने के बाद तैयार की गई थी आपको बता दें 6 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से बाहर किए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं का विवरण 9 अगस्त तक देने को कहा था. NGO ने चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन का निर्देश दिया गया था. 29 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची से लाखों लोग बाहर किए गए हैं, तो याचिकाकर्ता यह कोर्ट के सामने ला सकते हैं कि वे जीवित और पात्र हैं. कोर्ट ने जोर दिया कि अगर बड़े पैमाने पर बहिष्करण हुआ तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा. कोर्ट ने कहा कि ECI एक संवैधानिक संस्था है और इसे कानून के अनुसार काम करने वाला माना जाएगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील को आश्वासन दिया कि SIR प्रक्रिया से जुड़ी उनकी सभी चिंताओं को सुना जाएगा. 28 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि भले ही गणना फॉर्म संबंधित दस्तावेजों के साथ अपलोड न हों, ECI आपत्तियों के साथ नाम शामिल करेगा. शीर्ष कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया कि अगर वह उनकी बात से सहमत हुआ तो सब कुछ रद्द कर सकता है और ECI को आधार और वोटर कार्ड जैसे दस्तावेज स्वीकार करने को कहा, क्योंकि इनका कुछ महत्व है!Tags :
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